08-Sep-2022 जन एकता की भाषा हिंदी- रचना ८
वैसे तो हम आज भी आपस में अंजान नहीं
पर कोई पूछे तो कह देता हूं मेरी उससे कोई पहचान नहीं
बिछड़ गए हो तो खुश रहो अपनी दुनिया में
मगर उसे इस बात का गम कि मैं उसके लिए परेशान नहीं
माना की मुहब्बत करना आसान हो गया है
मगर मेरे जैसों के लिए अब दिल लगाना आसान नहीं
खुदा कम से कम बच्चों को इतनी शोहरत बक्शे कि
नज़र उठाकर उपर देखे तो छत दिखे खुला आसमान नहीं
शायद ज़िंदगी इसी सवाल में गुजरेगी "सौरभ"
वो लोग सुकून कहां ढूंढे जिनको शायरी से भी सुकून नहीं।
रचना- ८ हिंदी प्रतियोगिता
Suryansh
15-Sep-2022 07:37 PM
Superve
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Saurabh Patel
15-Sep-2022 08:40 PM
जी बहुत शुक्रिया आपका
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Gunjan Kamal
09-Sep-2022 12:25 AM
बहुत खूब
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Saurabh Patel
09-Sep-2022 04:55 AM
जी बहुत शुक्रिया आपका
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Raziya bano
08-Sep-2022 09:56 PM
शानदार रचना
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Saurabh Patel
08-Sep-2022 10:01 PM
जी बहुत शुक्रिया आपका
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